मेरी ओर से नवरात्रि की शुभ कामनाएँ करें स्वीकार!
माँ के आगमन पर मनाएं यह पवित्र उपवास और प्रार्थना का मोमेंट।
माँ दुर्गा के आगमन के इस पवन अवसर पर आपके !!
कुछ ना चढ़ाओं नवरात्रि में माँ की थाली में !!
इस पावन नवरात्रि पे हमारी शुभकामनाएं आपके साथ है।
नवरात्रि के इस महापर्व के आगमन के साथ !!
माँ तेरी भक्ति में शक्ति आराधना में शांति हैं
नवरात्र के दूसरे दिन देवी ब्रम्ह्चारिणी की पूजा होती है। ब्रम्ह्चारिणी देवी को समस्त विद्याओं का ज्ञाता माना गया है। देवी ब्रम्ह्चारिणी भवानी माँ दुर्गा का दूसरा स्वरुप है। ब्रम्ह्चारिणी ब्रह्माण्ड की रचना करने वाली। ब्रह्माण्ड को जन्म देने के कारण ही देवी के दूसरे स्वरुप का नाम ब्रम्ह्चारिणी पड़ा। देवी के ब्रम्ह्चारिणी रूप में ब्रम्हा जी की शक्ति समाई हुई है। माना जाता है कि ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति के समय ब्रम्हा जी ने मनुष्यों को जन्म दिया। समय बीतता रहा , लेकिन ब्रह्माण्ड का विस्तार नहीं हो सका। ब्रम्हा जी भी आश्चर्य में पड़ गए। देवताओं के सभी प्रयास व्यर्थ होने लगे। सारे देवता निराश हो उठें तब ब्रह्मा जी ने भगवान शंकर से पूछा कि ऐसा क्यों हो रहा है। भोले शंकर बोले कि बिना देवी की शक्ति के संसार का विस्तार संभव नहीं है। सकल संसार के विस्तार हेतु माँ जगदम्बा का आशीर्वाद प्राप्त करना होगा , उन्हें प्रसन्न करना होगा। सभी देवता गण माँ भवानी की शरण में गए तब देवी ने ब्रह्माण्ड का विस्तार किया। उसके बाद से ही नारी शक्ति को माँ का स्थान मिला और गर्भ धारण करके शिशु जन्म कि नीव पड़ी। हर बच्चे में १६ गुण होते हैं और माता पिता के ४२ गुण होते हैं। जिसमें से ३६ गुण माता के माने जातें हैं।
शेरों वाली मैया के दरबार में दुःख -दर्द मिटाये जाते हैं ,
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आपके जीवन में सफलता और समृद्धि की बरसात हो !!
माँ के आगमन का ध्यान रखकर हो सभी कार्य सुखमय।
घी का सुंदर दीप जला के। गोला गरी का भोग लगा के।
माँ के प्यार में डूबी है यह नवरात्रि की रातें,